लंपी स्किन
डिज़ीज़
के
लक्षण
बुखार,
लार, आंखों और नाक से
स्रवण, वजन घटना, दूध उत्पादन में गिरावट, पूरे शरीर पर कुछ या
कई कठोर और दर्दनाक नोड्यूल
दिखाई देते हैं। त्वचा के घाव कई
दिनों या महीनों तक
बने रह सकते हैं।
क्षेत्रीय लिम्फ नोड्स सूज जाते हैं और कभी-कभी
एडिमा उदर और ब्रिस्केट क्षेत्रों
के आसपास विकसित हो सकती है।
कुछ मामलों में यह नर और
मादा में लंगड़ापन, निमोनिया, गर्भपात और बाँझपन का
कारण बन सकता है।
- इस बीमारी में शरीर पर गांठें बनने लगती हैं. खासकर सिर, गर्दन, और जननांगों के आसपास.
- इसके बाद धीरे-धीरे गांठे बड़ी होने लगती हैं और फिर ये घाव में बदल जाती हैं.
- इस बीमारी में गाय को तेज़ बुखार आने लगता है.
- गाय दूध देना कम कर देती है.
- मादा पशुओं का गर्भपात हो जाता है.
- कई बार गाय की मौत भी हो जाती है.
- यह पूरे शरीर में विशेष रूप से सिर, गर्दन, अंगों, थन (मादा मवेशी की स्तन ग्रंथि) और जननांगों के आसपास दो से पाँच सेंटीमीटर व्यास की गाँठ के रूप में प्रकट होता है।
- इसके अन्य लक्षणों में सामान्य अस्वस्थता, आँख और नाक से पानी आना, बुखार तथा दूध के उत्पादन में अचानक कमी आदि शामिल है।
संक्रमण का कारण:
मवेशियों या जंगली भैंसों में यह रोग ‘गाँठदार त्वचा रोग वायरस’ (LSDV) के संक्रमण के कारण होता है।
यह वायरस ‘कैप्रिपॉक्स वायरस’ (Capripoxvirus) जीनस के भीतर तीन निकट संबंधी प्रजातियों में से एक है, इसमें अन्य दो प्रजातियाँ शीपपॉक्स वायरस (Sheeppox Virus) और गोटपॉक्स वायरस (Goatpox Virus) हैं।
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स्किन
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